Thursday 7 March 2013

महिलाओं ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर परचम लहराया

बेलसंड। सीता की भूमि की अबलाएं अब न केवल सबला बन चुकी है, बल्कि अपने मजबूत इरादों की बदौलत पुरुषों से काफी आगे निकल चुकी है। सीतामढ़ी की महिलाओं ने अपनी प्रतिभा का परचम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लहराया है। लेखिका आशा प्रभात : हिंदी उर्दू की प्रख्यात लेखिका आशा प्रभात ने अपनी लेखनी की बदौलत न केवल खुद को काव्य जगत में स्थापित किया हैए बल्कि अपनी रचनाओं के जरिए पाकिस्तान, बंगला देश समेत इंग्लैंड में धूम मचा दी है। रक्सौल में जन्मीं और सीतामढ़ी शहर के कोट बाजार मुहल्ले में वह गृहस्थी के साथ साहित्य साधना कर लगातार कामयाबी का कीर्तिमान रच मां जानकी की जन्मभूमि को गौरवान्वित कर रही है। आशा की पहली कृति दरीचे नामक काव्य संग्रह के रूप में वर्ष 1990 में प्रकाशित हुयी। उसके बाद धुंध में उगा पेड़ नामक उपन्यास प्रकाशित हुई। यह उपन्यास हिंदी व उर्दू दोनों भाषाओं में प्रकाशित हो कर कामयाबी की राह आसान कर दी। उनकी एक कहानी एक्वैरियम को साहित्य भाषा अकादमी ने 22 भाषाओं में अनुवाद के लिए अनुबंधित किया है। उन्हें बिहार राष्ट्रभाषा परिषद द्वारा साहित्य सेवा सम्मानए बिहार उर्दू अकादमी द्वारा खसूसी सम्मान, एबीआई द्वारा वर्ष 1999 में वुमेन आफ द इयर अवार्ड, प्रेमचंद्र सम्मान, दिनकर सम्मान व उर्दू दोस्त सम्मान से नवाजा जा चुका है। एनआरआई आशा खेमका : सीतामढ़ी की आशा खेमका ब्रिटेन में समाज सेवा का अलख जगा रही है। बहुत कम समय में आशा ने ब्रिटेन में अपने नाम का डंका बजवाया है। अभी हाल में ही ब्रिटिश सरकार ने उन्हें प्रतिष्ठित सम्मान से नवाजा है। यूनिसेफ बाला ललिता : महिला समाख्या सीतामढ़ी की खोज जिसे बाद में यूनिसेफ बाला के नाम से पूरे विश्व ने जाना। एक निरक्षर गांव में महादलित परिवार में जन्मी ललिता महिला समाख्या सीतामढ़ी के सान्निध्य में न केवल अपनी शिक्षा पूरी की बल्कि आज वह शिक्षक बन कर शिक्षा का अलख जगा रही है। साथ ही गांव की बालिकाओं को मार्शल आर्ट का हुनर सीखा कर नारी सशक्तीकरण का अलख जगाने के अभियान में लगी है। ललिता का जन्म जिले के सोनबरसा प्रखंड अंर्तगत खाप-खोपराहा पंचायत के महादलित टोले खाप गांव में एक बेहद गरीब परिवार में हुई थी। महिला समाख्या के संपर्क में आने के बाद ललिता पढऩे लगी। ललिता की साधना रंग लायी और वर्ष 2000 में वह इंटरनेशनल गर्ल बन कर उभरी। ललिता की तस्वीर व निरक्षर गांव की एक मात्र लड़की के शिक्षा प्राप्त करने की खबर को यूनिसेफ ने अपनी पुस्तक विश्व में बच्चों की स्थिति में जगह दी। ललिता की तस्वीर पुस्तक के आवरण पृष्ठ पर छपी। विकलांगों की दीदी प्रभावती : विकलांगों की दीदी के नाम से जाने जानी वाली प्रभावती ने अपना जीवन ही विकलांग बच्चों के प्रति समर्पित कर दिया है। दो दशक पूर्व डुमरा में सवरेदय विकलांग विद्यालय की स्थापना कर प्रभावती विकलांग बच्चों का भविष्य संवारने में लगी हुई है। प्रभावती ने विकलांग स्कूल की स्थापना के लिए न केवल अपने जेवर बेच डाले बल्कि अपनी गृहस्थी को भी त्याग दिया। वह आज अपना घर परिवार छोड़ कर विकलांगों का जीवन संवारने में लगी हुई है। रून्नीसैदपुर विधायक गुड्डी चौधरी : विधानसभा में प्रश्नों की बौछार कर अपनी ही सरकार को कटघरे में कर हक की बात करना कोई श्रीमति चौधरी से सीखें। बेलसंड विधायक सुनीता सिंह : अपने अच्छे कार्यों के लिए जनता के बीच लोकप्रिय श्रीमती चौहान ने विधानसभा में अपने क्षेत्र में कार्यों के बराबर आवाज उठाई। कन्या विद्याधान हो या अत्योदय योजना की बात हों। हर जगह जनता की बात कर जनता के दिलों में घर करने वाली विधायिका महिलाओं की आवाज बन कर उभरी है।

No comments:

Post a Comment