कुछ लोगों का कहना है कि अलाव आमजनों गरीबों को भले ही गर्मी प्रदान करे या न करे पर इसमें संलिप्त ठेकेदार या फिर आपूर्ति कर्ता की जेब जरूर गरम होगी। इस बीच देर होने से वे लोग भी थोड़े उदास हैं। वहीं कुछ मायूस होकर कहते हैं कि अपने पर भरोसा करें, दान-अनुदान के भरोसे जीवन नैया नहीं चलती। प्रशासन को चाहिए कि यथाशीघ्र अलाव की व्यवस्था करें ऐसा न हो कि देर हो जाए और कोई अनहोनी हो जाये अर्थात ठंड की मार किसी की जान ले लें। ठंड का सबसे सर्द दिन : सबसे सर्द दिन कहा जाएगा। ठंड का आलम यह है कि लोगों के घर निकले पर पाबंदी सी दिखी। सड़के सूनी रही। कनकनी इतनी की कोई कहीं निकलने की हिम्मत नहीं कर सका। यथा संभव यथा शक्ति गर्म कपड़ों में लिपटे लोग ठंड की ही चर्चा करते पाये गये। वही कहीं-कहीं निजी खर्च से अलाव की व्यवस्था कर गर्मी बांटी। बस स्टैंड में कचरे एवं मोबिल टायर आदि तो कई अन्य जगहों पर काटरून जलाकर लोगों ने गर्मी से बचने का प्रयास किया। अलबत्ता आमलेट की दुकानों पर भीड़ है। वहीं शराब से गर्मी लेनेवाले लोग भी चादर के अंदर बोतल लिये इस्टू हाउसों में बैठे कहकहे लगा देश-दुनिया की बात करते पाये गये। हां सड़कें सूनी रही। गरीब तबके के लोग किसी तरह अपने सीमित साधनों की बदौलत जाड़े से लड़ने की जद्दोजहद कर रहे हैं। कुछ लोगों का कहना है कि सरकार को चाहिए ठंड के दिनों में वृद्धों को कंबल की आपूर्ति करें।
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